तोहार पीर केहू नाहीं सुनी रे किसनवा

तोहार पीर केहू नाहीं सुने रे किसनवा
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अपने खेत जोति बोई के अउरी काटेला
सबसे अभागा नियन जियले रे किसनवा।

करजवो बढेला दिन दूना आ रात चौगुना
तबो त नइखे कवनो अलम रे किसनवा।

काम करत कुरता धोती भइल मटमइल
महाजनो भइ गइले बेइमान रे किसनवा।

चूल्ही के लवना घटला ठीक भदवरिया में
कबो-कबो भूखे र हेला परान रे किसनवा।

छटपटाके बेटा-बेटी के डहकेला करेजवा
भादो से सुग्गा अस भूखे रहेला किसनवा।

हाथे-माथे मेहरी रोवसु बाढ़ सूखा मरलस
कपारे हाथ धइके खूबे सोचेलन किसनवा।

आधा टांग में गमछा लपेट काटेले दिनवा
मोट-मेंही आधा पेट खाके जिये किसनवा।

बेटा-बेटी पेवन साटि के पहिरसु कपड़वा
बिनु जूता चप्पल ना पहिरसु रे किसनवा।

आवते चुनावुवा सब आछो आछो करेलन
नेता बोलावस वोट पंचायत रे किसनवा।

मंच पर बन्हाला अन्न देवता के पगरिया
बीतते चुनाव दुरदुरावल जाले किसनवा।

जे कबो खेत ,गांव, किसान देखले नइखे
उहे ए.सी. में लिखे  इतिहास  रे किसनवा।

असली  किसान के बेटा  लिखेला  हालत 
ओ बेटवा  के  सब  बिलगावे रे किसनवा।

असल में कइसे जिनिगी काटेले  किसान 
करजा में डूबल रोजे  मरतबा  किसनवा।

घरवो दुवारवा भी त  ढ़हत ढ़मिलात बाटे
मड़ई-टाटी से  आड़-छोप  करे किसनवा।

उहे किसानन पीर के समझ बूझि सकेला 
सुतल होखे बांस के मचान पर किसनवा।

जे सांवां-टांगुन गहूं-जौ ना चिन्हि सकेला 
उ केतना  लिखी तोहरे वेदना रे किसनवा।

बाढ़-सूखा राहत ना मिलेला किसानन के
सब पइसा पाई जाले नकली रे किसनवा।

इहे जमाना आजकल बाटे किसान भइया
कागजी घोड़े  सब दवुरावता  रे किसनवा।
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रचना स्वरचित,मौलिक 
@सर्वाधिकार सुरक्षित। ।
राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

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