जीवन तो समर्पण है

जीवन तो समर्पण है
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यह जीवन क्या है ?
समाज से कट जाना!

अकेला होकर सिर्फ
एक नौकरी पा जाना!

मां बाप की कमाई
पढ़ाई में  खपा जाना!

फिर  स्टेट्स   दिखाना
अपने  ज़मीर भुलाना!

कुलीन   बनकर  स्वयं
मां-बाप  से भी कटना!

पैसे वाले  लोगों से ही
अपना  संबंध बनाना!

अपना घर  पराया लगे 
ससुराल  में रह  जाना!

जी नहीं  ! ऐसा नहीं है
जीवन  तो  समर्पण  है

कोई एक कदम चलता
हम कदम साथ चलना

कुछ हम बन  जायें तो
पहले से  विनम्र  होना!

भाई-बहन, मां सबका
अच्छे से  ध्यान रखना!

साथ जो रहा  है अपने
उनका  भी  साथ देना!

रहें सबके साथ मिलके 
सद्भावना बनाये रखना!

अपने  को  समझना है 
अहंकार से  है  बचना!

मित्रों  को  मित्र  समझें
सादगी से  पेश है आना

जीवन को प्रेम से जियें 
पैसे से कभी न तौलना!

सबका मालिक ईश्वर है
तो क्यों हमें है इतराना!

जीवन को जीवन ही रहे
अहंकार नहीं है करना!
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------राम बहादुर राय-------
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश

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