नेह के डोर में बन्हा गइनीं

नेह के डोर में बन्हा गइनी
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हम त सनेहिया के डोर से
बन्हाते गइनी
डोर जेतने उ खींचत रहन
पास आवत गइनी
सनेहिया तार जुटत गइल
हम खिंचात गइनी
प्यार में हम अइसन डूबनी
सुध-बुध भूला गइनी
भरि गगरी में रखाये लगनी
त हम उतरा गइनी
मिलन के आस हमरा रहल
धोखा खाई गइनी
आंख त हमरो लोराइल रहे
तबो ना भुला पवनी
नेह के डोर त लमहर रहल
अइसही ढ़रक गइनी
उ समझलन हम हंसत हंई
मगर हम रोवत रहनी
नेह में बान्ह के चलि दिहलें
हम राह देखत रहनी
हम अपनहूं से दूर हो गइनी
उनहीं में समा गइनी
जवन जिनिगी आपन रहल
उ गिरवी धइ दिहनी
का कहीं हम,हम ना रहनी
नेह से हम नथा गइनी
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रचना स्वरचित अउरी मौलिक
@सर्वाधिक सुरक्षित। ।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

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