शिक्षक बनना आसान नहीं

शिक्षक बनना आसान नहीं
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शिक्षक होना आसान नहीं है
जब कठिन समय हो तब भी
वो कभी भी घबराता नहीं है
सबकी राहें सुगम करता है
अहर्निश साधक वह होता है
निस्पृह भी वही हो सकता है
सभी की उलाहना झेलता है
स्वयं जलकर खरा होता है
जाहिलों के बीच भी सीखता
ज्ञान,अज्ञानी से भी लेता है
सब जानके भी चुप रहता है
वही विष्णु  गुप्त  चाणक्य है
वह चन्द्रगुप्त बना सकता  है 
समंदर सा  स्वभाव  रखता है
उछलकूद  वह नहीं  करता है
नौकरी पाना  ही शिक्षक नहीं
ताउम्र  ज्ञान बोता काटता  है
सहन करने की सीमा होता है
वह समाज की जीवन रेखा है 
मान अपमान से दूर साधक है
वो योगी-मुनि एवं  संन्यासी है
शिक्षक पद  पाना  आसान है
एक शिक्षक  बनना कठिन है
शिक्षक समाज की संजीवनी 
संजीवनी को ढ़ूंढ़ना कठिन है
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रचना स्वरचित एवं मौलिक 
@सर्वाधिकार सुरक्षित 
राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

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