वक्त है..गुजर जायेगा
वक्त है : गुजर ही जाएगा:--
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ये वक्त भी तो गुजर ही जाएगा
हवा का रूख भी बदल ही जायेगा।
वक्त बुरा,अच्छा होगा कट जायेगा
कोई बढ़ेगा या कोई सिमट जायेगा।
साध लो स्वयं को वरना यह भी
बालू के रेत सा फिसल जायेगा।
हर मुमकिन कोशिश कर ही डालो
आया संकट भी जरूर टल जायेगा।
यदि बढ़ती रही ऐसी और रंजिश
आपस का प्रेम भी बिखर जायेगा।
मुश्किल हालात का सामना करो
वो भी वक्त के जैसे कट जायेगा।
वक्त दिखाता अपनों गैरों में फर्क
अपना तो वही है जो काम आयेगा।
गैर अपना वक्त पर रुख दिखाता है
वक्त तो वक्त है यूं निकल जाता है।
हमें क्या हम तुरुप के पत्ते जैसे हैं
कोई भी आके उसको चल जाएगा।
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रचना स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
राम बहादुर राय
भरौली नरहीं बलिया उत्तर प्रदेश
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