एक दिन सुखों की सुबह जरूर होगी
एक दिन सुखों की सुबह जरूर होगी
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बुरे वक्त को गुजरने में देर तो होगी ही
वो काली रात के ढलने में देर होगी ही!
क्यूं थोड़े से कष्ट से घबराती है दुनिया
सुख के दिन आने में देर तो होगी ही!
सहकर दुनिया के रंजोगम तूफां से भी
लड़कर भी संभलने में देर तो होगी ही!
जिसका सिर्फ़ आसरा ही खुदा का हो
मंजिल उन्हें मिलने में देर तो होगी ही!
धैर्य रख! होगी सुखों की सुबह जरूर
लेकिन उसके आने में तो देर होगी ही!
मैं अकेले ही दामन बचाकर रहता हूं
सच की राह चलने में देर तो होगी ही!
चलते रहने पर मंजिल मिलेगी जरूर
मगर मंजिल मिलने में देर तो होगी ही!
दर्द के बिस्तर पर नींद आ ही जाती है
उनके आगोश में सर नहीं,देर होगी ही!
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रचना स्वरचित और मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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