मुझे कोई अहम-वहम नहीं
मुझे कोई अहम-वहम नहीं
----------------------------------
जैसा तुम सोचते हो वैसे हम नहीं
मैं जो भी हूं ठीक कोई वहम ही नहीं।
मेरे बारे में वो लोग क्या सोचते हैं
उनकी सोच पर हमें कोई ग़म नहीं।
हम सबका भला सोचते रहते हैं
हम ठहरे इंसान कोई नेता तो नहीं।
हर बुराई की काट अच्छाई होती है
दुश्मनी, धोखा हमने सीखा ही नहीं।
हम मेहनतकश और जिंदादिल हैं
हम निन्यानबे के फेर में रहते ही नहीं।
पैसों का संसार होगा किसी के पास
लेकिन सिर्फ पैसे से जी सकते नहीं।
हम कभी भी कहीं पर भी चल देते हैं
गाड़ी,सुरक्षा,डर कहीं दिखता ही नहीं।
दिल में ईश्वर लेकर हम चला करते हैं
हमें रहम व धन की जरूरत ही नहीं।
दुनिया में हर व्यक्ति अकेला होता है
तो मैं भी अकेला कोई भ्रम ही नहीं।
-------------------
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
Comments
Post a Comment