नेह में तोहरा हम बिका गइनी
नेह में तोहरा अन्हुवा गइनी
----------------------------------
नेह के डोर में हम बन्हा गइनी
तोहरे बोल पर हम आ गइनी।
तूं हमरा के बुरबक बूझलऽ
नेह में तोहरा अन्हुवा गइनी।
ना जानत रहीं धोखा करबऽ
संवसे दिल तोके थम्हा दिहनी।
जमाना भी हमके बरजत रहे
तबो दाब-चांति के आ गइनी।
बिच्छू के कामे ह डंक मारल
डंक सहिके तोके बचा गइनी।
तूं बूझलऽ कि हम ना बूझनी
नेह में तहरा त झोंका गइनी।
नेह-छोह केहू से मिलि जाला
समझिहा उहंवा चोंहप गइनी।
हमहूं भोजपुरिये बेटा हंई
धोखा खाके भी अघा गइनी।
अब जेकर रामे ना बिगरिहें
काहें बूझिलऽ कि डेरा गइनी।
-----------------
रचना स्वरचित,मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित। ।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
Comments
Post a Comment