बड़ा याद आवेला बाबूजी के बतिया

बड़ा याद आवेला बाबूजी के बतिया
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बड़ा याद आवे हमके बाबू जी के बतिया
ना कामे अइहन तोहरे संगी संहतिया।

काहें नइखऽ मानत बाबू हमरो बतिया
सब भागि जाई तोहरो आई बिपतिया।

जबले पइसा रूपिया बाटे तोरे लगिया
जेवन कहबऽ सब मानी तोहार बतिया।

सभे नीक लागेला जइसे होखे पिरितिया
कटेला नीक से बाबू तोहरे जिनिगिया।

अइबऽ दुनियादारी में ए बबुआ जहिया
अदिमिन के रंग देखबऽ बदलत तहिया।

जेहि आगे - पाछे झूले धइके बंहिया
उहे करी दुशुमन के संगवा गलबंहिया।

हम ना समझ पवनी बाबूजी के बतिया
धोखा  खईनी  लुटा गइल हमार थतिया।

मिलला पर करेला हंसि हंसि के बतिया 
संगही रहिके रहि रहि लगावता  घतिया। 

बड़ा  मन परे  हमार बाबूजी  के बतिया
सभे लोग त रहते रहल जइसे  घरतिया।

हमार अथेघा  परल देखलन  संहतिया 
कटेले तिरिछे  जइसे लूटब हम थतिया। 
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रचना स्वरचित,मौलिक 
@सर्वाधिकार सुरक्षित। ।
राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

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