गाँव के थाती श्रृंखला-39
गाँव के थाती-श्रृंखला नं-39
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हमार गांव भरौली हवुए जिला बलिया, उत्तर प्रदेश में परेला एह गांव के विशेषता बाटे कि शहर-देहात दूनो के फायदा मिलेला...एक तरफ त गांव बटलहीं बाटे दूसरा तरह से देखल जाई त गांव के उत्तर गंगा जी उत्तरायण बहत बाड़ी...ठीक ओह पार बिहार के मशहूर पौराणिक स्थलीय बक्सर बाटे जवन अब जिला बनि चुकल बाटे..एहिजुगे प्रभु श्री राम जी भरौली होते हुए विश्वामित्र जी के तपोस्थली अइलल तब जाके ताड़िका अस राक्षसन के संहार कइलन तब जाके ऋषि-मुनि लोगन के धार्मिक कार्य धर्म के अनुसार चले लागल ,अहिल्या माई के स्थल, बावन महाराज....अइसहीं बहुत पौराणिक जगह बाटे....हमरा गाँव भरौली आ बक्सर में मात्र गंगा जी के एहपार-ओहपार के अन्तर बाटे...सैकड़ो लोग भरौली पुल से टहरत बक्सर तक जालन फिर लवटि के आराम से आवेलन..उत्तर प्रदेश आ बिहार के सीमा भी हवुए जहंवा से पुल पर जाये के चौरस्ता बाटे ओहिजुगा घुमावदार गोलम्बर बाटे ओकरे में गोलाकार पार्क बा जवना में सन 1936 में अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष..स्वामी सहजानन्द जी के आदमकद प्रतिमा/मूर्ति बीच में स्थापित कइल गइल बाटे क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक रहलन श्री गौरी भैया जी उहें के उद्घाटन कइले रहनी,दूसरका पुल भी चालू हो गइल बाटे..अभी तिसरका पुल बने जा रहल बाटे जवन तीन लेन के रही.
इहां ट्रान्सपोर्ट के हब भी प्रस्तावित बाटे...पूर्वांचल एक्सप्रेस, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे से मिलावल जा रहल बाटे। ।
हिन्दी आ भोजपुरी के सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ विवेकी राय जी जन्म स्थली भी हमार गांव भरौली हवुए उहो हमरे घरे निनियावुर हवुए ..ई सब डॉ विवेकी राय जी अपना किताबन में अपनहीं लिखले बानी..एगो साक्षात्कार दिहल पुस्तक @सवालों सामने विवेकी राय @ में भी कलमबद्ध बाटे...देखल जा सकेला..कहल जाला कि प्रत्यक्ष के प्रमाण का। ।
गाँव में नाथ बाबा के बहुत पुरान मठ बाटे जहंवा भिक्षुक लोग आवेलन त उनकर सब चीज के इंतजाम रहेला.
.तीन सो साठ बिगहा खेत रहल एह मठ के जवन आजुओ लगभग 200 बिगहा बंचल बाटे जवना के महंथ जी सुरक्षित रखले बानी...मठ के एगो बहुत बड़हन बगइचा बाटे जांजर कहाला ओहिजुगा जांजर बाबा के बसेड़ रहेला।
गाँव के दखिन तरफ उजियार गाँव बाटे जहंवा के उजियार (सरयां में) परम पूज्य पंडित गोरखनाथ उपाध्याय जी के घर सुप्रसिद्ध गंगा भवन के रूप में आजुओ एगो इतिहास समेटले बहुत अद्वितीय अउरी अदभुत बाटे...सबसे प्रमुख बात बाटे कि हमार गुरूघराना हवुए आ आशीर्वाद हरदम मिलत रहल बा...अभी भी मिल रहल बा...मिलत रही भी। उजियार के ही हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान श्री भागवत शरण उपाध्याय जी रहनी @खून के छींटे @बहुत मशहूर पुस्तक रहल...आगे गइला पर डाकबंगला बाटे जवन गंगा जी के किनारे ठीक बक्सर सेंट्रल जेल के सामने बा ओकरा बाद गाजीपुर के सीमा शुरू हो जाला।
मतलब कि भरौली गांव के पूरब गंगा जी के अमृत धारा, पछिम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-31,खरिहान बाग-बगइचा
तब पियरी माटी वाला सिगिता वाला खेत ओकरे बाद करइल के उपजाऊ माटी वाला खेत फिर ताल-तलैया परेला...उत्तर दिशा में सेंट्रल बैंक, बायें तरफ अमांव मोंड़ बा जहंवा से बघवना,टुटुवारी करइल के गांव जाये खातिर सड़क बाटे, अमांव गांव बाटे...गोविन्दपुर के बरम बाबा, गंगाजी के किनारे कोइलावीर बाबा स्थान परेला एगो इसाई मिशनरी भी बाटे सोहांव गांव से पहिलहीं ...सीधा चितबड़ागांव से फेफना होत बलिया चलि जाई। ठीक हमरा गाँव से बलिया के विपरीत चलला पर मतलब दखिन दिशा में सड़क मार्ग से रवुंआ भरौली..उजियार..कोटवानारायनपुर.....गाजीपुर...सैदपुर
होत वाराणसी ....जा सकतानी।
पहिले के समय के बसावल गांव बड़ा हिसाब से रहल जइसे कि गंगाजी के किनारा फिर खेत बाटे तब उंचास पर गाँव...फिर राष्ट्रीय राजमार्ग-31तब कुछ बस्ती...खरिहान...बाग-बगइचा फिर सिगित पियरी माटी वाला खेत...करइली माटी वाला खेत...अइसहीं।
पहिले गंगा जी के कछार पर तीन तरह के माटी रहल..आजुओ उहे बा. तरी मतलब मटिगर खेत तब पियरकी माटी फिर धूसी, बलधूस माटी, गंगबरार, पनसाला,दससाला,बालू-पानी वगैरह-वगैरह।
अब गंगाजी के निगिचा वाला खेतन में पहिले खूबे हिंगुवा के कांटा, भगरभांड़, रेगनी, गुम,भंजकंटया, बबूर बाद में जरसी घास लखत के लखत जामल करे..अगर बिना काटि के साफ कइले खेत जोताव तबो उ सब जामि जाव आ फसल के उपज घटा देत रहल एहिसे सब लोग कुदारी, रामी लेइके पहिले काटत रहल तब आयुर्वेदिक डॉक्टर लोग बहुत उठाके गाड़ी पर लदवा के लिहले जात रहल लोग दवाई बनावे खातिर आ जवन बांचल-खुचल रहत रहल कउड़ा फूंके के कामे आवत रहे लेकिन जब केहू ना ले जात रहल तब खेतवे में फूंका जात रहल फिर जोतला के जब एगो बूनी बाजे तब खेत सलसला जात रहल आ सड़ि-गलि के खाद बनि जाव...उपज खूब छतियाफार होखत रहल उहे बिना खाद-साद के।अब ई बूझल जाव कि अगहनिया,बाजरा, मकई,अरहर वगैरह त खूब होखबे करे, गाजर, मूरई, दानादार टमाटर, धनिया, मेथी, पालक मने कि तरकारी आलू-भंटा समेत कवन चीजु ना होखत रहल । धूसिये होत एगो बरियाई नहर निकलल रहल जवना से सोहांव के तरफ से गंगगजी में बड़का मशीन के माध्यम से पानी भरौली तक आवत रहे खेतन के पटवन खातिर..हालांकि आज उ काम नइखे करत लेकिन कुछ टूटल-फूटल नहर देखल जा सकेला मगर बुझाता कि कुछ समय बाद अब नाहिंये लउकी ।
अब गाँव के पछिम सड़क ओकरे बाद खरिहान फिर बगइचा तब खेत शुरू होखे जवन बहुत दूर तक दूसरा गाँव के सीमा तक रहल...आजुवो बटले बाटे
अब बाग-बगइचा के अइसन तरीका से लगावल गइल रहल कि किनारे पर चारो तरफ पतलो के झूर, सेहुड़, नागफनी, करवना, अमरूद, बइर, कदम,बड़हर,जामुन, आम...सब फल रहल ।आंवला,सिरिफल, अमड़ा,शरीफा तमाम अइसन फल-फूल के भरमार रहत रहल।सड़क के किनारे पर इमिली, महुआ, पिपल,गुलर,पाकड़,बरगद के भी लमहर-चाकर फेंड़ पंच लगवले रहल कि राही केनियो से अइहन उनके छांह के कवनो दिक्कत ना होखी...हां एगो विशेष दूरी पर इनार/कुंआ भी जरूर रहत रहे लोगन के पानी पिये खातिर। बाण-करइल के चाकरका डांड़न पर बनबइर खूब होखे जेकरा के बइकंटी भी कहल जाला ओकरा में बहुत कांट होखेला अगर एगो गड़ि गइल त बूझाला ना कई गो गड़त जाला एहिसे कहल जाला कि कचहरी के मुकदमा आ बइरकंटी के कांट स अंझुराये के ना चाहीं।आ करइल के खेतन में जवन एकफसला कहात रहल जबकि एहसमय त पंपिंग सेट हो गइला से बारहमासी कुल्ही खेतवो हो गइल बाड़ेसन ।अब धान-गंहूं खूबे होखता पानी मिलला से आ एगो अउरी भी कारन कहल जा सकेला नया टेक्नोलॉजी,विशेष रूप से बढ़त बेतहासा जनसंख्या के वजह से भी उत्पादन बढ़ावे खातिर कृत्रिम खाद, डंकल बीज के प्रयोग खूब करे के परता नाहीं त कामे कइसे चली खेत-बारी घटले जात बा आदमी लगातार बढ़ि रहल बाटे।पहिले त चना,जौ, मसूरी, लेतरी मतलब कि मोटान्जा खूबे होखे।
मलहोरी लोगन के भी अपन बागान रहत रहे जेवना में दुनियाभर के फूल-पत्ती लागल रहे ओहिसे पूरा गांव के काम चलत रहे।गांव में कुंआ/इनार रहत रहे टोला के हिसाब से, मन्दिर गांव में आ गांव से बहरी भी रहल जहंवा सबकर मिलना-जुलना भी होइये जाव। मौसम के अनुसार भी बहुत कुछ व्यवस्था रहल...गांव में भूंजा भूंजे खातिर भरसांई रहत रहल ओहिसे भर गांव के दाना,सतुवा वगैरह-वगैरह भूंजल जात रहल आ भरसांई के लवना-लक्कड़ खातिर बगइचा के पतई बहारि के उंकाई लेखा गल्ला कइके रखाइल रहत रहे तब समय के अनुसार एगो बड़े चक्का खांचा में जवन कि बांस के कइन से बनल रहत रहल ओहि में हूमचि के मजिगर भराव आ दू आदमी लागे उठवावे में तब कपार पर रखाव जे आदमी खांची ढ़ोवे वाला रहल उ कपार पर एगो बड़ पगरी बन्हले रहे, कान्ही पर लमहर लाठी लगावे कुछ बोझा के लाठी से टान लेत रहे कि कपार पर कम बोझा परे।
हमार गांव भरौली के चौहद्दी
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पूरब ओरिया गंगाजी के बहत बा अमृत धारा
उत्तर ओरिया बुढ़वा महादेवजी के आसन बा!
गंगाजी के लगहीं सब देवी -देवता के सहारा
एक ओरिया माई मंगला भवानी के डेरा बा!
पछिम में सड़क,बाग-बगइचा अउरी जाजरा
गंवुआ के उत्तर में नाथ बाबाजी के बसेड़ बा।
दखिन तरफ स्कूल-कालेज, पुलन के भंडारा
मंगला भवानी के चीनी फाहियान लिखले बा।
आजुवो तूं खूब चलते बाटे रामायनी परम्परा
चीनी यात्री बुढ़वा महादेव धाम भी घूमले बा।
भोर भरौली भये...बक्सर जाई ताड़िका मारा
ओ पार बक्सर में रामरेखा,चरित्रवन धाम बा।
डाॅ विवेकी राय जन्मले रामायन राय के घरवा
साहित्यकारन के भरौली,लमही अस नाम बा।
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आलेख स्वरचित,मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित। ।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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