श्री राम अइसन केहू भइबे ना कइल

श्री राम अइसन केहू भइले ना कइल
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बहुत घूमनी बहुत घूमियो के देखनी
श्रीराम अइसन केहू मिलबे ना कइल।

प्रभु राम के सोचि के लिखहूं बइठनीं
का बताईं कुछवू लिखइबे ना कइल।

सोचत-सोचत हम सोचते रहि गइनीं
राम के नाम कबो भूलइबे ना कइल।

सुघराई के रावुर का का हम बखानी
रवुंआ के जे देखल,देखते रहि गइल।

बहुत देवी-देवता के गोहरवले बानी
राम के आगे केहू सोहइबे ना कइल।

हम लिखत-लिखत ना लिखि पवनी
कलमो भी देखिके देखते रहि गइल।

रवुंआ त दुष्ट रावनो के तारि दिहनी
राम से रणहद केहू रहबे ना कइल।

प्रेम सांच होखे राम जी कृपा कइनी
राम से कृपालु केहू भइबे ना कइल।

नेह-छोह अइसन श्रीराम से लगवनी
नेह-छोह, विछोह जनइबे ना कइल।
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रचना स्वरचित,मौलिक 
@सर्वाधिकार सुरक्षित। ।
राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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