घुटि-घुटि के नाहीं जियल जाई

घुटि-घुटि के नाहीं जियल जाई
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घुटि-घुटि के नाहीं जियल जाई
मिलि बइठि के, पियल जाई।

अपना मन वाली , कइल जाई
जिनिगी छकि के, जियल जाई।

जवन मन में, आई कइल जाई
बात मन में नाहीं रखल जाई।

जवन बाटे ,नीमन मानल जाई
के जाने कब, चल दिहल जाई।

हमनी के मिलिके , रहल जाई
लुतरन-कुचरन , से बचल जाई।

खूब मउज-मस्ती, कइल जाई
जवन होई ओके, देखल जाई।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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