घरवा के दुख तूहूं याद रखिहऽ

घरवा के दुख तूहूं याद रखिहऽ
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जातड़ऽ तूं दिल्ली राजधनिया में
गंवुआ- घरवा के धियान रखिहऽ।

माई-बाबू सुतेलन पलनिया में
एह बतिया के खियाल रखिहऽ।

भइया खटेले खेत-खरिहनिया में
उनकरो तूं मान-अरमान रखिहऽ।

जियेता जिनिगी सब उधरिया में
करजा काढ़ल, तूंहूं याद रखिहऽ।

माई-मेहर रहेली एगो सड़िया में
पेट काटिके जियल याद रखिहऽ।

कबो-कबो लोर चुवे चुहनिया में
माई के उपासल तूं याद करिहऽ।

जिनिगी जियलका अन्हरिया में
ए बबुआ नीमन से याद रखिहऽ।

खेत - बधार धराइल रेहनिया में
छोड़ाहूं के बाटे,धियान रखिहऽ।

दुल्हिन बाड़ी तोहरे पिरितिया में
उनको पर तनी खियाल रखिहऽ।

सब आसरा,तोहरा नोकरिया में
पइसा हरदम तूं भेजल करिहऽ।

ताना मारेले लोगवा डहरिया में
सब लोगवन के धियान रखिहऽ।

दुश्मन बाड़न गंवुआ शहरिया में
ए बाबू बुद्धि के सेयान रखिहऽ।

नीमन तोहरे सब खनदनिया में
इजतिया के तूंहूं उतान रखिहऽ।

केतनो दुख सहिहऽ नोकरिया में
घरवा के दुख तूहूं याद रखिहऽ।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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