अकेले उड़े सिखावेले चिरइया

अकेले उड़े सिखावेली चिरइया
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घास के झुरमुट के झरोखा से
देखते-सुनत बइठेली चिरइया।

अपना बचन के चूं- चू के चीं से
सरेहिया में निकलेली चिरइया।

दूगहू दाना छुपालेली गलवा से
फर्र उड़ि चलि आवेली चिरइया।

बचवन के देखिलेली आहट से
चोंचसे खूबे खियावेली चिरइया।

चोंचवे खोलि कहेली बचवन से
उड़े के राह देखावेली चिरइया।

बचवन के निरेखेली अंखिये से
उनके दुख से बचावेली चिरइया

छोटीमुटी खोंतवे लटके झुर से
थपकी देके सुतावेली चिरइया।

भूख-पियास गरमी बरसात से
ओहार के जियावेली चिरइया।

लागेला कि जियेली बचवन से
जान अपन लुटावेलि चिरइया।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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