मोछिये अब पाके लागल
मोंछियो अब पाके लागल
--------------------------------
झनर-झनर बुझाये लागल
सरेहियो के भागि जागल।
फूलवो झांवर होखे लागल
चइतियो के भाग जागल।
खेतवा अब झांके लागल
ढ़ेंढ़ियो अंगिराये लागल।
फसलियो पियराये लागल
नीक दिन बुझाये लागल।
ढ़ेंढ़ियो अधेड़ होखे लागल
ओकर मोंछ पाके लागल।
अंकरी लहलहाये लागल
दूबियो फरफराये लागल।
देहिंयो सोझियाये लागल
खरिहान छिलाये लागल।
गंहू-चनवा छंवुके लागल
बाल रेंड़ा पर चढ़े लागल।
जिया-जंतु फरके लागल
मुंहें नया अनाज लागल।
सरसो अब निहुरे लागल
तीसी उपर ताके लागल।
किसानो के भाग लागल
मने खूब बिहंसे लागल।
भिनुसारो लउके लागल
कोइलरो कुहुंकू लागल।
-----------
रचना स्वरचित,मौलिक
राम बहादुर राय
@followers
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
Comments
Post a Comment