जियते खोंतवा उजारि गइलऽ बलमू

जियते खोंतवा उजारि गइलऽ बलमू
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कवना नगरिया चलि गइलऽ बलमू
खोजत-खोजत हेराई गइलऽ बलमू।

हमरो जिनिगी अथेघा कइलऽ बलमू
नेहिया के डोरिये भूला गइलऽ बलमू।

हमके कउड़ी के तीन कइलऽ बलमू
खोजत-खोजत हेराई गइलऽ बलमू।

कवन कसूर हमरा से भइल बलमू
सुखवा के दिन सरेह कइलऽ बलमू।

आसरा के मनवा लुटा गइल बलमू
कवना नगरिया हेराई गइलऽ बलमू।

बिना पाता के नपाता भइलऽ बलमू
कवना खोंतवा लुका गइलऽ बलमू।

पानी हमार बेपानी कइलऽ बलमू
जियते खोंता उजारि गइलऽ बलमू।

हमार जियलो दुलुम कइलऽ बलमू
कवना जहर में डूबा गइलऽ बलमू।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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