कुंडली मार भुजंग मृदु बोल रहे
लक्ष्य मिलकर रहेगा अगर दृढ़ संकल्प हो
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चल पड़ा है पथिक अपने कर्तव्य पथ पर
चलते ही जाना अपने लक्ष्य की राहों पर।
लक्ष्य मिलकर रहेगा अगर दृढ़ संकल्प हो
जो चलते हैं मंजिल पाने दूर होंगी बाधायें।
दुनिया में ऐसा क्या जो नहीं मिल सकता
निष्काम कर्म किया फिर फल भी मिलेगा।
चलने वाले सोचते नहीं हैं उठने गिरने पर
सफलता भी कदम चूमेगी कर्म करने पर।
जरूर पुष्पित होंगी मन की अभिलाषाएं
पथिक का काम है चलना बस चलते रहो।
प्रभु श्री राम भी चलते रहे कर्तव्य पथ पर
जिस हाल में रहे वे चले नेकी की राह पर।
कठिनाइयों से जूझेंगे तो जीत मिलेगी ही
जब संघर्ष करेंगे फिर जीत भी होगी ही।
लक्ष्य तयकर चल पड़ेंगे कर्तव्य पथ पर
नेक इरादे हैं तो पहुंचेंगे विजय पथ पर।
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रचना स्वरचित और मौलिक
@राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
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