एक विरासत हो पर सौगात न हो

एक विरासत हो पर सौगात न हो
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रू-ब-रू हो कोई साथ न हो
बन्द खामोशी पर बात न हो ।

मिलन की शामें सब  हों  तन्हा
अश्क  घिरें   पर  बरसात   न  हो।

वैसे  सहारे  की  तारीफ  भी करूं
सिर  कभी  कन्धा  या हाथ न हो।

हर अफसाने भी  मायूस  हुए लगे
बेवजह जज्बों की गर बात न हो।

ज़िन्दगी  यूं उलझी  व सांस कहीं
एक विरासत हो पर सौगात न‌ हो।

जीवन में  मज़ा भी तभी आता है
संघर्ष में कोई अपना  साथ न हो।
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@राम बहादुर राय
भरौली,बलिया, उत्तर प्रदेश

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