अब किससे उम्मीद रखें

अब किससे उम्मीद रखें
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संसार बदलेगा कैसे
क्या बदलने का समय
यही है या कि फिर कभी
नहीं अब यही समय है
सही समय है
पर सभी सोच रहे
चलने दो जैसे चल रहा है
हमें क्या,दूसरे करेंगे
मिल्क बूथ पर बिक रहा
लिखा है मदर मिल्क
इसके लिए भी तरस रहे लोग
धोखेबाज हो गये धंधेबाज
धंधेबाज होते अंधे
चश्मे की दूकानों पर भी
मिलने लगी पत्थर की आंखें
भला उन बनावटी आंखों से
कैसे दिखेगा यह संसार
फिर कैसे बदलेगा संसार
मुझे भी तो अपने काम पर जाना है
मुझे भी फुर्सत नहीं है
गांव में सामंजस्य भी बनाना है
नेताओं के साथ नारे भी लगाने हैं
चलो जैसे चल रहा है चलेगा
सब ईश्वर करता है
हम क्या कर सकते हैं
इसी तरह की सोच रखते हैं सभी
फिर हम‌ कैसे उम्मीद करें कि
संसार बदलेगा
दूसरा कुछ करे तो गलत
वो करते तो सही
भीतर से कुछ और होते हैं
बाहर से कुटिल मुस्कान रखते
कहते कि बदलाव हो रहा
जरूर हो रहा है
हमने देख लिया समझ लिया
कौन अपने कौन पराये हैं
एहसास करा दिया गया
अब अपने काम पर लगना है
अपनों से सावधान रहना है
स्वयं को ही बदलना है
अतः इसके लिए स्वयं को
स्वयं से उपर उठकर चलना होगा
पहले हमें अपने को बदलना होगा
तब होगा यह बदलाव
फिर संसार भी बदलेगा
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राम बहादुर राय
भरौली ,बलिया,उत्तर प्रदेश,
पिन कोड:२७७५०२

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