क्या तूं विधि का विधान बदल पायेगा

क्या तूं विधि का विधान बदल पायेगा
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क्या मिलेगा तुम्हे, मुझसे मुझे छीनकर
मांगके देख लेना,तुमको मिल जायेगा।

जो नफरत पाल रखा है तुमने मेरे लिए
वही तुम्हारे और करीब मुझे ले जायेगा।

साथ रहकर क्यों धोखा कर में लगे हो
एकदिन वही धोखा,तुझे मिल जायेगा।

मुझे गिराने के लिए तुम कितना गिरोगे
मुझे गिराकर तुमको क्या मिल जायेगा।

जो बात हमारे मुकद्दर में लिखी गई है
क्या तूं विधि का विधान बदल पायेगा।

मेरा क्या बिगाड़ोगे मैं कुछ भी नहीं हूं
हर बार तेरा दांव तुम्ही पे चल जायेगा।

चोट खाते-खाते आदत सी पड़ गई है
बार-बार मेरा ढ़ाल कोई बन जायेगा।

मैं तिनका नहीं कि फूंक से उड़ जाऊं
मैं हवा हूं ,तुम्ही बता क्या कर पायेगा।
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@राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

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