चलऽ उङि चलऽ दूर देशे चिरई
उड़ि चलऽ दूर देश में चिरइया हो
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उड़ि चलऽ खोंतवा में चिरइया हो
बान सभे सधलहीं बा
तोहके जाल में फंसावे के फेरा बा
माया चाल चलले बा
बहुरूपिया बनल बाटे मुदइया हो
गड़ांसी खूब पजवले बा
अइसन दाना से नीक फांकिये बा
जरूरी जान बचावले बा
बाज बनिके बइठल संगियवा हो
चिन्हाइल बड़ कठिने बा
उड़ि चलऽ खोंतवा में चिरइया हो
फंसावहीं वाला सभे बा
केकर करबू भरोसा, कलयुग बा
आपन लोगवे दुश्मन बा
चलऽ चलऽ जंगल के ओरिया हो
नीमन सबसे ओहिजे बा
उड़ि चलऽ दूर देश में चिरइया हो
जियरा अफतरे परल बा
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रचना स्वरचित,मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित
राम बहादुर राय
बलिया,उत्तर प्रदेश
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