धूप में नेह से नेह लगावल करिला
धूप में धूप से नेह हम लगावल करिला
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मई क धूप में धूप से नेह लगावत रहिला
जे दुरदुरावे ओकरो के सजावल करिला।
हम त एगो किसान-मजदूर के बेटा हंई
केहू कतनो अंझुराइ,संझुरावल करिला।
दुश्मन भी होई तबो नेह लगावत रहिला
केहू के गिराईं नाहीं हम उठावल करिला।
माटी-डांटी में खेलल-कूदल हमहूं बानी
केहू से रीत-प्रीत खूबे लगावल करिला।
धूप के ताप-साप सहे के आदतो बाटे
धूप में दीप के बूते से बचावल करिला।
धूर, गरदा, धूप त हमार जनमे के साथी
शीत घाम संगे नेह से सुतावल करिला।
मई क धूप में धूप से नेह लगावत रहिला
प्रचंड धूपो के नेह से अपनावल करिला।
आदमी के जात हम आदमी में रहतानी
केहू केतलो उलझाई,सुलझावल करिला।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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