हर घुटन के सुख बनावल जाई
हर घुटन के सुख बनावल जाई
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अब घुट घुट के काहें जियल जाई
प्यार दुलार से सबसे मिलल जाई।
चारे दिन के जिनगी मिलल बाटे
खूबे नीमन से मजा लिहल जाई।
सबकर जिनगी नीमने से गुजरो
अइसने काम कुछू कइल जाई।
केहू के करेजा फाटल होई
मिलजुल के करेजा सियल जाई।
जिनगी भगवाने के दिहल हवुए
जइसे रखिहन वइसे रहल जाई।
खा पियऽ खूब आनन्द में रहऽ
जिनगी रही तबे त मिललो जाई।
तृस्ना रखले से का फायदा बाटे
रही जिनगी तबे कमाइल जाई।
कहल जाला हंसले घर बसेला
आईं खूब खुलि के हंसल जाई।
घुट-घुटी के नाहीं जियलो जाई
हर घुटन के सुख बनावले जाई।
सुख-दुख हमनी के मने में बाटे
अपना मनवे के मनावल जाई।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेशहर
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