नयन के देखिके नयन लोर हो गइल
नयन के देखिके नयन लोर हो गइल
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नयन के देखिके नयन लोर हो गइल
याद में उनका देखते भोर हो गइल।
सोचले ना रहीं कि एतना निष्ठुर होई
अउरी निष्ठुर,निर्मोही कठोर हो गइल।
का कहीं नयन के , धोखा खा गइल
जेके चितचोर बूझनी, चोर हो गइल।
नयन से नयन के सुख मिलते रहल
जिनिगी हमार त लोरे-लोर हो गइल।
बूझनी की जिनिगी में प्रीत मिलल
नयन जबसे मिलल,अंजोर हो गइल।
प्यार में मिलके हमसे दूर हो गइल
नयन मिलते अउर कठोर हो गइल।
रोवत-रोवत नयन याद करत रहल
नयन के देख नयन थोर हो गइल।
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राम बहादुर राय
भरौली, बलिया ,उत्तर प्रदेश
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