जब जब देखीं लउके तोहरे सुरतिया
जब जब देखीं लउके तोहरे सुरतिया
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जब जब देखीं लउके तोहरे सुरतिया
संगहीं के सब लोगे भइलन सवतिया।
छम-छम बाजे जब तोहरे पायलिया
मनवा सिवान होके देखेला रहतिया।
जब जब हिलेला तोहरे कनबलिया
तब तब छछने जियुवा हो संहतिया।
जब जब देखिले हम मोहनी मूरतिया
चहकेला मनवा जुड़ाई जाला छतिया।
जब जब पहिरेलू धानी रंग चुनरिया
अंचरा में तोहरा लउके किसमतिया।
रात में चलेलू त उगेला अंजोरिया
तोहरे के देखिके होखे भोरहरिया।
केसिया देखत लजाले कारी बदरिया
तोहरे से बुझाला दिन हवे कि रतिया।
हंसेलू धइके अंचरा के कोरिया
सुख-चैन उड़ जाला बेध देलू छतिया।
मन करेला देखती तोहके दिन रतिया
काहें मिलल तोहरा के सुघर सुरतिया।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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