जब-जब आवेला देस में चुनवुवा
जब-जब आवेला देसवा में चुनवुवा
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जब-जब आवेला देसवा में चुनवुवा
तब-तब लउकेलन नेता लोग गंवुवा।
पांचों बरीस उ चिन्हले नाहीं पूछले
कबो दिल्ली त कबो बिदेसे घूमले।
केहू चलिए गइल त पूछेलन नवुवा
मन कइसे परी अइले नाहीं गंवुवा।
गली-गली के खाको खूबे छानतरे
राह चलन्तनो के गोड़वो लागतारे।
दवुरतरन खूब जइसे घुमरी परवुवा
गांवे घूमसू जबसे आइल चुनवुवा।
अइसन दुलार देखावत बाड़ें सबसे
जइसे सब कोई घरवे के बेटवुवा।
बेटा-बेटी सबके जूझवले बाड़न
कुछू कइके जिते के बाटे चुनवुवा।
एक महिने के त इनकर खेती बाटे
पांच बरिस तक चानी काटे के बाटे।
होता चकवा चकईया हम तूं भइया
डेरा डलले गंवुवा आइल चुनवुवा।
उजर-उजर भइल बाटे सगरे गंवुवा
नेता लोगे लउकले आइल चुनवुवा।
जब-जब आवेला देसवा में चुनवुवा
तब-तब नेता लोग लउकेलन गंवुवा।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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