मन आसक्त हुआ देख कुरंग

मन आसक्त हुआ देख कुरंग
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नित्य नयन निरखत पुनि-पुनि
कंचन कमल सुशोभित मन।

मन गुलाब तन सुगंधित
तन मन हुआ पल्लव-पल्लव।

अधर पर अलि हुआ अधर
हुआ अलि आसव-आसव।

घायल प्रेम हुआ आतुर
मन हो गया पल्लव-पल्लव।

पुंकेसर पर मूर्छित अलि
चहक - बहक गया तन-मन।

मन आसक्त देखा कुरंग
हो गया कुंज पल्लव पल्लव।

देख सुरभि मन हुआ मुदित
तन मन हुआ पल्लव पल्लव।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलियाउत्तर प्रदेश

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