दिल देइके उधार जी रहल बानी
दिल देइके उधार जी रहल बानी
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जिनगी के कहानी लिख रहल बानी
प्यार हम जबानी लिख रहल बानी।
अब का कहीं कतना भरम में रहनीं
भरम के निसानी लिख रहल बानी।
उनकरा खातिर हम त जियतो रहनीं
अब मरे के कहानी लिख रहल बानी।
हम ना जानत रहनी अइसन प्यार के
बिना गवाही सजा पा रहल बानी।
दुसुमन के मार बहुत सहले बानी
प्यार के मारल त डहक रहल बानी।
उनके देखनी कवनो सिकन नइखे
उनकर हंसल देख जी रहल बानी।
देखे में हमहूं निमने लागतनी
उपर हंसत दिल से रो रहल बानी।
अब कइसे बताईं केकरा से कहीं
दिल देइके उधार जी रहल बानी।
हमार जिनगी के एके मकसद बा
तोहरा खुसी में हमहूं खुस बानी।
अब हमार जिनगी तोहार हो गइल
अब पार्थिव सरीरे ढ़ो रहल बानी।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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