बोलिहऽ भोजपुरी, तूं त हवुवऽ भोजपुरिया
बोलिहऽ भोजपुरी, तूं त हवुवऽ भोजपुरिया
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बहुत पढ़ाई पढ़िके,बोले भाषा भोजपुरिया
साचों कहतानी,नीक लागे तोहरी बोलिया।
गोड़ लागसु सबके नाहीं करेलन भेदभवुवा
उंचकी जाला एंड़िया, फरकि जाला रोंवुवा।
पूछाला कइसे बाड़ऽ,धरसु भरि अंकवरिया
नेह-छोह पाइके,रतियो बुझाला भोरहरिया।
माई-बाबू से मिलला पर,भर जाला झोरिया
उधिया जाला दुखवा,बरिसे माई के नेहिया।
गंवुआ के जिनिगिया,सबसे नीमने बुझाला
सहर-सहरात में रहला से,मनवा उबियाला।
नेह-छोह के अगनइया में भरल बा सनेहिया
सभे मेल-जोल से खातो रहे एके जगहिया।
जब केहू कहे,कि आइल बाड़े का रे बबुआ
बूझनी कि भदवारिये में आई गइल फगुआ।
बाग बगइचा कहे,हमरा से मनवा के बतिया
गंवुए रहऽ , कहीं जनि जइहऽ ए संहतिया।
केतनो आगे बढ़ जइहऽ,हवुवऽ भोजपुरिया
कहीं रहऽ,खेवत रहिहऽभोजपुरी क नइया।
खेलत रहऽ चकवा चकई आ हम तूं भइया
याद करऽ ए बबुआ,तूंहूं आपन लरिकइया।
जब आइल देखलस,तोहके गंवुवा-गिरवुंवा
लाग गइल आसरा,अब तोहरे से रे बेटवुवा।
अफसर बनिहऽ, चाहे राजा बाबू हो जइहऽ
बोलिहऽ भोजपुरी,तूं त हवुवऽ भोजपुरिया।
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@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश
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