आइल भदवारी के महिनवा हो
आइल भदवारी के महिनवा हो
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आइल भदवारी के महिनवा हो
एकरा में सुगवो उपास करेला।
रुखर होखे घाम बरिसे पनिया
घरवे में बाड़ी अंउसात कनिया।
खाये के करेला खूब मनवा हो
चमके बिजुरिया त डर लागेला।
अंगना गली खूब हंचाड़ भइल
दुवारे कीच काच लेवाढ़ भइल।
कइसे जाईं खेत खरिहनवा हो
दिनवा रतिया पनिये बरिसेला।
मारेला झपटी त मड़हे मड़इया
चुवे खपरैल ओनहेले धरनिया।
छपले बा चहुओर अन्हरिया हो
घूमे जाये खातिर मन तरसेला।
पहिले सब इंतजाम रहे कइल
धइलो लवना खतमे होई गइल।
कइसे जरी चुल्ही में अगिया हो
गोइंठवो नाहीं अगिया धरेला।
सब जिया जंतु घरे में लुकाइल
सियरो के माथा बा चकराइल।
इहे हवुए भादो महिनवा हो
एमे अकिलो ना काम करेला।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
#everyonehighlights
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