तुम पूछ रहे हो कि तुम कैसे हो

तुम पूछ रहे हो कि तुम हो कैसे
---------------------------------------
मेरे जख्मों पर नमक छिड़ककर
तुम पूछ रहे हो कि तुम हो कैसे !

जब भी तुझको मायूस देखा मैं
हर लिया मायूसी,आंधी बनकर।

मुझे जलते देखा ,और जलाकर
तुम पूछ रहे , तुम खुश हो कैसे !

मेरा तो कोई दुश्मन ही नहीं था
दुश्मनी ओढ़ा,मैं तुझे समझकर।

बेजान दिल से पूछते उचककर
दिल का मरीज बन गये हो कैसे।

मेरे ही दुश्मनों से प्यार जताकर
तुम पूछ रहे हो,कि तुम हो कैसे!

तुमको अपना होने के भ्रम में था
तेरी हर धड़कन को सुन रहा था।

मेरी धड़कन लूटा अपना बनकर
पूछ रहे बिन धड़कन जिंदा कैसे!

मेरे जख्मों पर नमक छिड़ककर
तुम पूछ रहे हो,कि तुम हो कैसे।
----------------
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
@highlight

Comments

Popular posts from this blog

देहियां हमार पियराइल, निरमोहिया ना आइल

माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं

आजु नाहीं सदियन से, भारत देस महान