मोर हिंद क ललनवा हो, ध्यान तूं रखिहऽ

मोर हिंद क ललनवा हो ,ध्यान तूं रखिहऽ
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मोर हिंद क ललनवा हो, ध्यान तूं रखिहऽ
खतरा में वतनवा के ,ध्यान तूं रखिहऽ

सीमवा प लड़तारऽ , घरवे मुदइ हजार
दुसुमन ना चिन्हाई हो,घरवे मुदइ हजार।

पइसे प सब बेचाता,बेचता सब निसान
कइसे चलि देसवा हो,बिगड़ताटे विधान।

सभ बने चलंसार हो, सभ बाटे हुंसियार
केहू सहीद होतबा, केहू मुदइ क यार।

बहुत भइले कुर्बान हो,हवें सपूत महान
रातो दिन जागतारे, हवें हिंद के जवान।

हिमालय पहरुआ हवें, सागर धोवे पांव
जेतना बाड़ें दुसुमन ,बेसी हमार गांव।

रक्षा करसु जवनवा हो, माई के रतनवा
उनुकर इज्जत करऽ,रखिहऽ धियानवा।

नया भारत हवुए हो, सस्त्रे के हऽ खान
भूल से छेड़ दिहलऽ, मेट जाई निसान।

मोर हिंद क ललनवा हो,ध्यान तूं रखिहऽ
खतरा में वतनवा के , ध्यान तूं रखिहऽ
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रचना स्वरचित अउरी मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित।।
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश

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