सभ कीनी लेबऽ,माई ना किनाई
सभ कीनी लेबऽ,माई ना किनाई
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माई त माई हई,केहू दाज ना पाई
माई का होखेली,माईये बता पाई।
जेकर माई ना रही,ओकरे बुझाई
सभ कीनी लेबऽ,माई ना किनाई।
होटल,रेस्टोरेंट में त खाइये लेबऽ
माई के बनावल रोटी ना भेंटाई।
सभे बा स्वार्थी,नइखे केहू आपन
एगो माईये बाड़ी,करेली उधापन।
जस-अपजस से ,ई दुनिया डेराई
जस-अपजस,माई देबेली भगाई।
कुछ नाहीं चाहीं,चाहीं हमके माई
कालवो देखते माई के भाग जाई।
माई जइसन,अमृत कहंवा भेंटाई
माई बिना जिनिगी नाहीं समेटाई।
माई के अंचरा में भरल बा मिठाई
अनमख ना माने,करीं जब ढ़िठाई
माईये डांटेली आ माईये दुलारेली
माई बिना माथ हमार के सुहुराई।
माई के करनी केहूवे से ना भराई
पाप परी रोंवा भी माई के भहराई।
माई त माई हई, केहू दाज ना पाई
माई का होखेली,माईये बता पाई।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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