खाके कसमें भी लोग बदल रहे हैं
खाके कसमें भी लोग बदल रहे हैं
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रिवायतें वही हैं, लोग बदल रहे हैं
खाके कसमें भी लोग बदल रहे हैं।
दिखावे के साथी तो बहुतेरे मिलेंगे
आयेगा बुरा वक्त,साथ नहीं मिलेंगे।
सोशल साइट्स पे खूब हांक रहे हैं
मिल गये कहीं ,बगलें झांक रहे हैं।
अगर आपने कर ली कुछ तरक्की
सब चुप हो जाते हैं,बात है पक्की।
कहते कि सब बन्दरबांट कर रहे हैं
सच है सब मिल बांट के खा रहे हैं।
सच्चा, झूठा साबित किया जायेगा
कायर को ही बहादुर कहा जायेगा।
इमान-धर्म वाले को तंग कर रहे हैं
झूठे व फरेबी को पसंद कर रहे हैं।
रिवायतें वही हैं , लोग बदल रहे हैं
खाके कसमें भी लोग बदल रहे हैं
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राम बहादुर राय
भरौली, बलिया, उत्तर प्रदेश
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