सहरिया से नीमन आपन गंवुए बा

सहरिया से नीमन आपन गंवुए बा
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सहरिया से नीमन आपन गंवुए बा
गंवुआ सोगहल पिपर के छंवुवे बा।

कई दिन के खाना फ़्रीज़ में रखाला
ओकरे के सभ केहू चाव से खाला।

गंवुआ के हवा-पानी स्वर्गे हवुए
गंवुआ के लोग एकदम निर्मल बा।

बोलियो में मिस्री के मिठास रहेला
गंवुए नेह-छोह भरल पिरितियो बा।

दुख दलिदर चाहे केतनो आ जाई
सब केहू मिलि के देबेला भगाई।

गंवुआ-जवार खुला किताबिये बा
प्यार-दुलार से भरले सरेहिया बा।

इमान-धरम से ही सब केहू रहेला
छल-कपट केहूवे मन में ना धरेला।

केहू के घरे जाइके ,आजमा लऽ
जेवन रही मिली, मांग के देख लऽ

झूठ-फरेब गंवुवन में नाहिंये बा
संस्कार,संस्कृति इहंवे बंचलो बा।

जहंवा देखबऽ सब खुसे लउकी
निठोठ बोली हऽ, ना केहू फउकी।

बूढ़ पुरनिया के आसरा गंवुए बा
सेवा होखे जइसे ,देवी-देवता बा।

वृद्धाश्रम के कोढ़ गंवुआ ना मिली
केहू इहां कुहुंकत कूढ़तो ना मिली।

एहिसे कहतानी गंवुए अब चलिंजा
सहरिया से नीमन आपन गंवुए बा।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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