केहू के बढ़त देखी, रोके लागी बाट

केहू के बढ़त देखी, रोके लागी बाट
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दूर से तीर चलावे,बनता सबसे नीक
बाबू भैया कहावे,करता सबके दीक।

धर्म मार्ग से तूं चलऽ, उहे कहाई रीत
प्रीत लगाई जेतने,धोखा दिही उ मीत।

लड़हीं के होखे कहीं , देखा देई पीठ
बात करेला बुझाला,केतना बाटे ढ़ीठ।

उहे जवन करत बाटे,ओकरे लगे ढ़ंग
दूसर केतनो करी त,जरे सोरहो अंग।

महंथ बनेला अपने, देखीं इनके ठाट
केहू के बढ़त देखी ,रोके लागी बाट।

ना खेत देखले कबो, नाहीं जाने गांव
ए.सी.में रहके लिखे,रटे गांव के नांव।

ओकरे लेखा नइखे, केहू इहां महान
नाहीं पूछबऽ तबो, देई जबरी ज्ञान।

भेंटा जइहें तोहसे, दिहें खूबहीं मान
नाहीं रहबऽ चौकस,काटी लेई कान।

बोली से चुवेला मधु,भरल बाटे गून
केहू क नीमन देखें,सूखे इनके खून।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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