एहू जमाना में हमके लइकी बतावल
एहू जमाना में हमके लइकी बतवलस
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छूटल हमार नइहर अइनी अपने ससुरा
फेंड़ पर से गिरनी, दूसरे बिच्छी मरलस!
सासु कहेली फूहर,ननद कहे अठिलोहर
एगो बछिमुह लागे ,एगो लागे चकचोन्हर!
जेकरा से बियाह भइल गइल उहे बहरा
सूपे झटकरलस तोहार बढ़नी बहरलस!
क्रीम-पाउडर पोत के लागसु खूबे सुघर
पसीजेला पसेना त हो जाली भकभुवर!
अपने घूमेली गली-गली मारत ठठकरा
हमरा के कैदी बनाइके, जियते सरलस!
का जाने कवने नक्षतर में लिहली जनम
कवुवा अस बाड़ी तबो गोरे के बा भरम!
बात-बात पर हमके ताना खूब मारेली
अकेले त जरते रहीं,इहो हमके जरलस!
काहें जल्दी रहे कि बियाहे होखत अइनीं
अइनीं ससुराले त फलानवा बो कहइनी!
हे भगवान जी काहें के लइकी बनवलऽ
दहेज खातिर मरीं,कहीं गरभवे मरलस!
जाति-धर्म के लड़ाई में कुछवू ना कइनी
केहू ना भेंटाइल त हमहीं मारल गइनी!
लइकी जनमते भेदभाव जमाना कइलस
लइकी होके घरी-घरी जमाना मुववलस!
केहू नजर चढ़ावल केहू नजरे उतरलस
एहू जमाना में हमके लइकी बतवलस!
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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