वह बार-बार आइना देखता
वह बार-बार आइना देखता
------------------------------------
बहुत सुंदर प्यारी सी लड़की
उसके तरफ देखती एकटक।
वह जब सामने दिखाई देता
लगता उसे ही देखती रहती।
वही लड़का जब घर लौटता
बार-बार आइने को देखता।
कभी बालों को उपर करता
कभी चेहरे पर हाथ घुमाता।
वह स्वयं खूब आत्ममुग्ध होता
अपनी सुंदरता पर इतराता।
अच्छा-खासा पढ़ने लगा था
पढ़ाई में मन लगने लगा था।
उसे पढ़ने में मन नहीं लगता
बार-बार लड़की को देखता।
खिड़की से देखती रहती थी
उसी को देखती,वह सोचता।
प्रेमातुर वह विस्मृत हो गया
अपने से अपने दूर हो गया।
उस लड़की से मुलाकात हुई
वह लड़की जा रही थी कहीं।
वह सोचा कि वह बात करेगी
लेकिन वह सीधे निकल गई।
तो लड़का औंधे मुह गिर पड़ा
वो दूर का देख ही नहीं पाती।
अब बेचारा लड़का करे क्या
पढ़ाई व प्रेम दोनों चला गया।
अब होकर बेरोजगार लड़का
दिन में तारे गिन रहा एकटक।
-------------
राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
#highlight
Comments
Post a Comment