जब तुम तरक्की कर जाओगे

उलझ गये,तब पीछे चले जाओगे
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जब कुछ तरक्की तुम कर जाओगे
फर्श से अर्श पर जब तुम आओगे।

साथ तेरा कर्म होगा,सिर्फ कर्म कर
राह में मुश्किलें आयेगी, कर्म कर।

तुम चक्रव्यूह में ,घेर लिए जाओगे
जब कुछ बढ़ोगे,दुश्मनी बढ़ाओगे।

जो साथ दिख रहे,बचकर रहा कर
अब स्वत्व छीनेंगे,बचकर रहा कर।

गलत नहीं हो ,गलत कहे जाओगे
ये समझो हर पल, रोके जाओगे।

रचने दो षड्यंत्र,अपना काम कर
ऐसे लोगों से , बचकर रहा कर।

लड़कर ही तुम, आगे बढ़ पाओगे
उलझ गये, तब पीछे चले जाओगे।

कौन नहीं रोका गया,धैर्य रखा कर
परीक्षा है तुम्हारी ,सजग रहा कर।

यह परिपाटी है ,आज भी पाओगे
मुख में शहद,दिल में जहर पाओगे।

यह कुछ न बिगाड़ पायेंगे,चला कर
कर्म कर,अवश्य सफल हो जाओगे।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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