नेह के थुन्हीं-टाटी उजहल रे भइया
नेह के थुन्हीं-टाटी उजहल रे भइया
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टूटही मड़इया , चुवत ओरियनिया
मनवा के धुंआठल, लउके चुहनिया।
दाही के धुंआ , उड़ेला असमनिया
नेह - छोह से भरल रहे दोकनिया।
हर- परिहथवा के लमहर हरीसिया
टाड़ि से बोवल जाव लतरि,मसुरिया।
धान के कियारी, प्रीत के बेहनिया
खेत में जिनगी ,रोपे बनिहरिनिया।
काकी - काका सिखावसु रहनिया
बइठसु अन्नपूर्णा माई खरिहनिया।
खपड़ा-नरिया आ निगहता, धरनिया
घुब काढ़ि के रहे, ओहमे दुलहिनिया।
बरिस सौ के भइल दादी के उमिरिया
गोधूली बेरा पियें हुक्का-चिलमिया।
ठकचल अन्न-धन से रहल बखरिया
दुखवा-दलिदर नाहीं लउके दुवरिया।
टुनु-टुनु बाजे बबुअवा के चलइया
थूथून रगरे कान्हीं बाछा घरगइया।
जिनगी के मजा देत रहे धेनु गइया
कल्हुवाड़ा के ढ़ूंढ़वा रहल मिठइया।
चोंचा , मैना ,नेवुरा, सुगावा,चिरइया
सुखवा से रहे भरल घर अंगनइया।
बूढ़, लड़िका सभ लोग चढ़े भेंड़इया
चकवा चकइया आ हम तूं भइया।
ना कहे केहू बूढ़ा, न कहाव बुढ़िया
कहे सब इनके दादी-काकी मइया।
उड़ि गइल प्रेम के फुरगुदी चिरइया
थेघ बा कहां,उजड़ गइल अमरइया।
सुविधा बढ़ल,भइल अकेले मनइया
नेह के थुन्ही-टाटी उजहल रे भइया।
देखऽ ए राम बहादुर ! नवकी दुनिया
एक ही घरवा ,कई कई गो चुहनिया।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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