जे जतने डूबल, बुड़त गइल

जे जतने डूबल , बूड़त गइल
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जे रिझत रहल उ रिझते गइल,
जे सिझत रहे उ सिझते गइल।

प्यार के जवन धइलस बिमारी
कबो हंसे कबो रोवत रहल

कबो अंखियन से बत्ती जरल
कबो अंखिया लोरावत रहल।

सांझ भइल कब दोपहर भइल
सुध-बुध में बुझइबे ना कइल।

चान तुरहीं के उ कहत रहन
छोट चिरई धरइबे ना कइल।

जिनगी अन्हार के पहलू रहल
प्रेम पवलस अंजोर हो गइल।

प्यार पाके अगरा गइल रहन
जियल उनके मोहाल भइल

प्यार में जेतना डूबत गइल
मोह में ओतने दलकत गइल।

जे जतने डूबल , डुबत गइल
जोहला पर ना मिलबे कइल।

धरि लिहलस जेकरा ई रोग
नीक-जबून ना बुझइबे कइल।

बेमारी जेकरा ई धइलस
एह दुनिया से दूर हो गइल।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
#highlight

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