घूम रहे अय्यार बहुत, ओढ़ देव परिधान!!!
घूम रहे अय्यार बहुत, ओढ़ देव परिधान!
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नीति,अनीति ,कूटनीति, चल रहा खुलेआम
फल फूल भी खूब रहा, भले बुरा हो काम।
चल रही अय्यारी बहुत ,मुश्किल है पहचान
घूम रहे अय्यार बहुत, ओढ़ देव परिधान।
जैसा जिसका कद बड़ा ,वैसा उसका नाम
चाहिए शोहरत अगर , बढ़ाओ ताम-झाम।
सीधे - साधे हैं अगर , लाख अच्छे इंसान
डूब जायेगी लुटिया ,जाने सकल जहान।
कौन पूछता है तुम्हें , नहीं है छल प्रपंच
नहीं आता छल प्रपंच, नहीं मिलेगा मंच।
आप अगर अच्छे होंगे , सुनते होंगे तंज
हृदय भी रोता होगा , मन भी होगा रंज।
कैसा यह इंसान है , करता सबको तंग
इनसे अच्छा भुजंग है, विष केवल मुखदंत।
ऐसा यह संसार है, जैसे बादल रंग
कभी वर्षा सूखा कभी,सुख-दुख के हैं अंग।
राम बहादुर जानिए ,कर्म ही है दिनमान
अपना उसको मानिए,रखे आपका ध्यान।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
#everyoneactive
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