चढ़ते चइत नाहीं आइल,हो रामा
चढ़ते चइत नाहीं आइल,हो रामा!!
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चढ़ते चइत नाही आइल ,हो रामा!
पिया परदेसिया ।।
आम बउराइल,महुइया कोंचाइल
कइसन हवा बहल ,रोंवा भरभराइल
बीत गइले फागुन, ना आईल हो रामा
झरल पतइया,सुखल रहल डढ़िया
मोजर से मातल ,आमवा के डढ़िया
काटे धावे महल अटरिया ,हो रामा।
कबो लागे गरमी ,कबो लागे पाला
रहि रहि बिरहन के ,मन छपिटाला
पिया बिना जिया मरमराइल, हो रामा
रहि रहि मन हमार ,खूब लकराइल
कहां जाईं का करी ,मन अफनाइल पिया के खबरियो ,ना आइल हो रामा।
सूखल डांठ नियन ,देहिंया झुराइल
पिया परदेस जाके ,हमके भूलाइल
सोच -सोच जिया तड़फड़ाइल,हो रामा
चढ़ते चइत नाहीं आइल,हो रामा!
पिया परदेसिया।।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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