बेचि नथिया चुका दीं उधार सैंया जी

बेचि नथिया चुका दीं उधार सैंया जी
-----------------------------------------------
करत नइखीं काहें कुछ काम सैंया जी
चलल कइले बा जुलुम हमार सैंया जी।

रहिया चलत हमके टोकेला बजजवा 
देखिले तऽ धक-धक करेला करेजवा।
 
करत नइखीं काहें कुछ काम सैंया जी 
चलल कइले बा जुलुम हमार सैंया जी।

हमरे खातिर कढ़ले बाड़ऽ करजवा 
सोचिले त बुझाला गिर जाई बरजवा।

कुछू कमइत होई हलुक भार सैंया जी
चुकाई देतऽ लिहल उधार सैंया जी।

रहिया चलत हमके रहि-रहि निहारेला
नजरी से हमके ताना बहुत मारेला।

बेचि नथिया चुका दीं उधार सैंया जी
रवुंए बानीं गहना हमार सैंया जी।

जहां-जहां जाईं पिछे हमरा आवेला
तनिको डेराव ना आंखि देखावेला।

जियल कइले बाटे मोहाल सैंया जी
करीं मुवना के कुछू उपाय सैंया जी।

ना चाहीं गहना नाहीं चाहीं लहंगा
दुनिया में सबसे बलम हमार महंगा। 

पहिर लेइब मटिया मरकीन सैंया जी 
चुका दिहीं मुवना के उधार सैया जी।

करत नइखीं काहें कुछ काम सैंया जी 
चलल कइले बा जुलुम हमार सैंया जी।
                --------------------
राम बहादुर राय 
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश

Comments

Popular posts from this blog

देहियां हमार पियराइल, निरमोहिया ना आइल

माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं

आजु नाहीं सदियन से, भारत देस महान