काम बनावऽ आपन, चुप्पी रखिहऽ ढ़ाल
काम बनावऽ आपन ,चुप्पी रखिहऽ ढ़ाल।
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मन से करऽ काम तूं, खूब लगावऽ ध्यान
लोग कही का एह पर ,दिहऽ मति तूं ध्यान।
मन में कवनो बात बा, बाहर दऽ निकाल
आग-पाछ मति करिहऽ,करिहऽ तूं तत्काल।
बात बोलऽ सोचि के ,मति कसऽ तूं तंज
तंज कसि के तूंहूं भी, रहबऽ अपने रंज।
सोच सबकर अलगे बा ,बाटे अलग विचार
सोच मिली एक जइसन,करऽ जनि लाचार।
अगड़ बगड़ बोलला से, बनबऽ ना कबीर
पसन परे ना रंग तब, डलिहऽ तूं अबीर।
कृपा भइल भगवान के,भइल सुघर जीव
रहल करऽ तूं अइसे, जइसे होला घीव।
जुग जमाना बदल गइल,बदल गइल इंसान
बड़ा कठिन हऽ जानल,नइखे कुछू निसान।
मित्र बनावऽ सोचि के ,करऽ बहुत विचार
काम आवे संकट में, राखे नीक विचार।
सुनि लऽ राम बहादुर, बोलल बाटे काल
काम बनावऽ आपन ,चुप्पी रखिहऽ ढ़ाल।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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