बनल कवि भोजपुरी के,नइखे जी आसान!

बनल कवि भोजपुरी के ,नइखे जी आसान
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बनल कवि भोजपुरी के ,नइखे जी आसान
बनल एगो घेरा बा , सब कोण बा इसान।

आइल हऽ आ आई, अउरी बहुत किताब
गुट बाटे भारी बनल , पइबऽ ना खिताब।

नाम ओकरे उ छपिहन ,देखि देखि के नाम
लिखे से का मतलब बा, जपी इनकरे नाम।
मुंह देखि पुरस्कार मिलत,होखता वाह वाह
बड़ बड़ कवि मुंह ताकत, मुंह से बोले आह।

अब तूं कइसे पचबऽ ,रखिहऽ जनि आस
रही कोसिस में खूबे ,रोकी अन्तिम सांस।

घात प्रतिघात होत बा ,होता विश्वासघात
सांच के झूठ बनाके ,करत लोग आघात।

जात जमात खोजाता,होखे ना कुछ काम
नाम डलाई उनकरे , करत रहीं बदनाम।

का करबऽ तूं जानि के ,बानी हम बइमान
मिलल बा कुरसी हमके ,बेच देइब इमान।

हम हीं हंई विधाता , लगा लऽ तूं जोर
बढ़े ना देब तोहके , करत रहबऽ सोर।

लिखत बाड़ऽ त लिखऽ,ना होखबऽ पास
पास करब ओकरे के ,जे हमार बा खास।

नया नइखे कवनो ई, आदत हऽ पुरान
इहे कइले बानी हम, होखऽ जनि हरान।

कहां कहां तूं जइबऽ , नइखे एकर थाह
बना देब तोहरा के , पागल आ बउराह।

उपर से कुछ और हंई ,भीतर से कुछ और
मीठ हमार बोली बा ,काम करीं कुछ और।

कब तक रोक सकेलऽ,बूझत बा सब लोग
बहुत चलल अब ना चली,छोड़ऽ मनोरोग।

कुछ डेरा भगवान से ,खुद से करऽ न्याय
न्याय के कुरसी पाके ,काहें करत अन्याय।

लिखल होई बढ़ेके त,कब तक लागी रोक
अबो से त सुधरऽ तूं, छोड़ऽ रोक टोक।

बनल कवि भोजपुरी के,नइखे जी आसान
देखि-देखि दूसरा के , बाड़न उ परेसान।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
#जयभोजपुरी
#highlightseveryone

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