नेह लगावऽ प्रभु से,होई बेड़ा पार!
नेह लगावऽ प्रभु से , होई बेड़ा पार!
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कबो खुसी के धूप बा ,कबो दरद के छांह।
कबो जितले के आसा, कबो हार के राह।
कबो दुनिया नेक लगे, लागे कबो रुवांस।
मिलल चोट त अपने से, दूसर से का आस।
तबे तक लगबऽ नीक, बढ़े क नइखे चाह।
डेग बढ़वलऽ आगे , रखे लगी सब डाह।
झूठ सब खैरखाह बा ,स्वार्थ भरल बा चाह
राह बनावऽ अपने , हटा दऽ तूं जाह।
कहे के आपन सब बा, झांसा बा सब देत
इहे तऽ जिनगी बाटे,फिसलत जइसे रेत।
नेह लगावऽ प्रभु से , होई बेड़ा पार
राह कंटक हटि जाई , होई खुसी अपार।
काम करऽ कुछ अइसन,होखे सबके सीख
मति जइहऽ ओह जगह, मांगत बीते भीख।
धन दवुलत त रेत हऽ, लउके जइसे धूह
पता ना कब उड़ि जाई,उड़े जइसे कि रूह।
रहि जाई सब एहिजे, होखऽ जनि अधीर
हारि अन्त में जइबऽ, बनऽ जनि रणधीर।
काम करबऽ गलत तूं, मन्त्र जइबऽ भूल
कांट बोइबऽ अपने, मिली कहां से फूल।
गुन गवाई मुवला पर, कही सुनी सब लोग
नीक के नीक कहाई, करऽ नीमन योग।
सुनि लऽ राम बहादुर, करऽ सबसे प्यार
मन के रखिहऽ साफ, दुसुमन चाहे यार।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
#जयभोजपुरी
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