खेत अब लहलहा गइल

खेत अब लहलहा गइल
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धान के बाल दवां गइल
पुवरा के बिछावन गइल।

साग चना के तइयार भइल
गंहू के पौधा जवान भइल।

सरसों पियर फूला गइल
खेत अब लहलहा गइल।

बादर से बून टपक गइल
मोटनजा के सुतार भइल।

रहिला भी कचनार भइल
मटर पुरहर गदरा गइल।

किसान के अंजोर भइल
फसल गोटमोटार भइल।

खेतन में उजियार भइल
दिल बसंती बयार भइल।

किसान खुशहाल भइल
अनाज के आधार भइल।
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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