बड़े मिजाज से अब रहा करता हूं

बड़े मिजाज से अब रहा करता हूं!!
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तुम्हें देखकर मैं देखा करता हूं
सज संवर के मैं चला करता हूं।

जब तुम्हीं नहीं थे वीरानियां थीं
जीने में सारी परेशानियां थीं।

बार-बार उन्हें मैं देखा करता हूं
बड़े मिजाज से अब रहा करता हूं।

पहले तो मन लगता ही नहीं था
वक्त ऐसा था बीतता ही नहीं था।

एक-एक दिन भी भारी होता था
वक्त काटने  में जमाने लगते था।

तुम आ  गये  तो  मैं जीने  लगा हूं
तेरी  याद  में,  मैं   रहा  करता हूं।

वक्त  अपने  रफ्तार से भी तेज है
वक्त  की  रफ्तार  धीरे चाहता हूं।

हर पल  तुझे मैं  जीना  चाहता हूं
सदियों से ही तुझे चाहा करता हूं।

तेरे  मिलने  से  जिंदा  हो गया हूं 
तेरे दिल  में ही  मैं  रहा करता हूं।
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राम बहादुर राय 
भरौली, बलिया, उत्तर प्रदेश

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