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Showing posts from February, 2025

झड़ पतझड़ निर्झर हैं कुंजें, घर-घर मंगल मंगल गूंजें

झड़ पतझड़ निर्झर हैं कुंजे ,घर-घर मंगल मंगल गूंजे! ----------------------------------------------------------------- तजि विरहन जागी है वामा,देखत दिनकर भागी यामा। सुख दुख हैं आपस में भाई, कुछ तो धीरज रखना भाई। साधक साधन मन उपजावे, रोवत पुत्र माता दुलरावे। झड़ पतझड़ निरझर हैं कुंजें,घर-घर मंगल मंगल गूंजें। बौरे आम खूशबू झूमे , जन जन में है यौवन चूमे आया दिन शुभ खंजन जागे,दुख सबका है अपने भागे। डाली डाली कोयल बोले, गान तान सुन तन मन डोले। हर हर बम बम शंकर भोले,जिसको चाहे जो वह लेले। रहती थी बागों में खुशियां,करती चह चह जैसे चिड़ियां इठलाती बागों में कलियां, करती खूब हैं अठखेलियां। देख सुखी हैं दुखी अभागे,इनसे तो किस्मत भी भागे सब कुछ पाकर भी हैं हारे, दुख के लगते हैं हरकारे। सोचो कैसे बीती होगी , कैसे वह रात कटी होगी क्षुब्ध क्षुधा भी तरसी होगी, भूख पेट की तड़पी होगी। उसे दुनिया से क्या लेना, भूख की भट्ठी में जी लेना जैसे रखेंगे राम वैसे , हमको ढ़ल जाना है वैसे। ---------------------- राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदे...

घूम रहे अय्यार बहुत, ओढ़ देव परिधान!!!

घूम रहे अय्यार बहुत, ओढ़ देव परिधान! ------------------------------------------------------ नीति,अनीति ,कूटनीति, चल रहा खुलेआम फल फूल भी खूब रहा, भले बुरा हो काम। चल रही अय्यारी बहुत ,मुश्किल है पहचान घूम रहे अय्यार बहुत, ओढ़ देव परिधान। जैसा जिसका कद बड़ा ,वैसा उसका नाम चाहिए शोहरत अगर , बढ़ाओ ताम-झाम। सीधे - साधे हैं अगर , लाख अच्छे इंसान डूब जायेगी  लुटिया  ,जाने  सकल  जहान।  कौन  पूछता  है   तुम्हें , नहीं   है  छल प्रपंच  नहीं आता  छल   प्रपंच,  नहीं  मिलेगा मंच।  आप  अगर  अच्छे   होंगे , सुनते  होंगे  तंज  हृदय भी  रोता   होगा , मन  भी   होगा रंज। कैसा  यह   इंसान   है , करता  सबको  तंग  इनसे अच्छा भुजंग  है, विष केवल मुखदंत।  ऐसा   यह    संसार   है,  जैसे   बादल   रंग  कभी वर्षा सूखा कभी,सुख-दुख के हैं अंग। राम  बहादुर  जानिए ,कर्म  ही  है  दिनमान  अपना  उसको  मानिए,रखे आपका  ध्यान।                      -------------------- राम बहादुर राय  भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश #everyoneactive

लोकार्पण और सेलिब्रिटी का अड्डा बना विश्व पुस्तक मेला। ।

सन 1937 के चुनाव जैसा बना विश्व पुस्तक मेला!!! ------------------------------------------------------------------ भारत में सन 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चुनाव हिस्सा लिया था। हालांकि पार्टी भी एकमात्र वही थी। मजे कि बात यह थी कि वह चुनाव कोई सामान्य व्यक्ति नहीं लड़ सकता था इसकी वजह भी थी....हम गुलाम थे तो अंग्रेजों की शर्तों पर ही लड़ सकते थे। बहुत ऐसे भी लोग थे जो अंग्रेजों के बनाये हुए नार्म के योग्य होकर भी चुनाव नहीं लड़े। लेकिन जो चुनाव लड़ने के नार्म बनाये गये थे उसमें एक सामान्य आदमी तो सोच भी नहीं सकता था...उसमें सिर्फ और सिर्फ धनकुबेर, रजवाड़े या उनके प्रतिनिधी, जमींदार या विदेश में पढ़े हुए लोग ही आ सकते थे। और वही जनअंगरेज प्रतिनिधि बनते थे तो हम अनुमान लगा सकते हैं कि वो कितने कारगर साबित होते होंगे।इसमें कुछ अपवाद स्वरूप भी रहे होंगे यह भी सम्भव रहा होगा। उपरोक्त बातों को यहां रखने का मकसद यही है कि हमारे देश में कवि-लेखक, साहित्यकार, प्रकाशक, पाठकों के लिए लगभग प्रति वर्ष विश्व पुस्तक मेला दिल्ली में लगता है तथा प्रत्येक प्रकाशक अपना बुक स्टाल लगातार उपस्थ...

देहियां हमार पियराइल, निरमोहिया ना आइल

देहिंया हमार पियराइल, निर्मोहिया ना आइल --------------------------------------------------------- असरा के मन अंझुराइल , निर्मोहिया ना आइल जोहत अंखिया पथराइल,निर्मोहिया ना आइल। मनवा के ललसा मनवे में मुरझात बा मनवा के बतिया मनवे में रह जात बा। देहिंया हमार पियराइल, निर्मोहिया ना आइल सरधा हमार ना पुराइल, निर्मोहिया ना आइल। अब हमरो उमिरिया बाटे जात ढ़रकल                 पुरकस देहिंया जात बाटे अब लरकल। सरधा हमार ना पुराइल,निर्मोहिया ना आइल  देहिंया हमार पियराइल,निर्मोहिया ना आइल।                आसरा के जिनगी हमार जाने केने बहकल                 मिले खातिर तोहरा से बाटे जियरा डहकल।  याद में  बानी सुखाइल ,निर्मोहिया  ना आइल मनवा हमार अकुलाइल,निर्मोहिया ना आइल।                      -----------------  राम बहादुर राय  भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश  #highlight